Ek Yuva Vichar Ek Ummid Nayi

15/recent/ticker-posts

Are You Hungry

Samajh se pare aur PREM ke vash me usi ka naam paramaatma hai


 प्रेम ही परमात्मा का द्वार है..


रामानुज एक गांव में ठहरे थे। एक आदमी उनके पास आ गया और कहने लगा कि मुझे प्रभु से मिलना है, मुझे परमात्मा की तरफ जाना है, मुझे रास्ता बताओ! रामानुज ने उसे नीचे से ऊपर तक देखा और कहा, मेरे दोस्त, मेरे भाई, तुमने कभी किसी को प्रेम किया है?


prem ke vash me parmatma 
वह आदमी कहने लगा, प्रेम—वेम की बातें मत करो, मुझे परमात्मा तक जाना है।यह प्रेम वगैरह के चक्कर में मैं कभी नहीं पड़ा। मुझे रास्ता बताओ प्रभु का!


रामानुज फिर थोड़ी देर चुप रहे और फिर पूछा कि मेरे दोस्त, क्या तुम बता सकते हो, तुमने कभी किसी स्त्री को भी प्रेम किया हो?


उस आदमी ने कहा कि आप प्रेम ही प्रेम क्यों पूछे चले जाते हैं? मुझे परमात्मा को खोजना है, किसी स्त्री से प्रेम से मुझे क्या लेना देना?



रामानुज फिर तीसरी बार पूछने लगे कि फिर भी सोचो, शायद कभी किसी मा या कोई मित्र को थोड़ा प्रेम किया हो! वह आदमी क्रोध से खड़ा हो गया और उसने कहा, यह क्या पागलपन है? मैं प्रभु का रास्ता पूछता हूं। मैं पश्चिम की पूछता हूं आप पूरब की बताते हैं। मैं प्रेम की बात नहीं पूछ रहा हूं।


रामानुज की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने कहा, फिर तुम जाओ। तुमने अगर किसी को भी प्रेम किया होता, तो उसी प्रेम को प्रार्थना में बदला जा सकता था। तुमने अगर एक को भी प्रेम किया होता, तो उसी प्रेम के द्वार से तुम्हें एक में तो परमात्मा कम से कम दिखाई पड़ जाता।


 और जिसको एक में दिखाई पड़ जाता है, फिर कोई मामला बहुत बड़ा नहीं, उसे सब में दिखाई पड़ सकता है। लेकिन तुम कहते हो मैंने कभी किसी को प्रेम ही नहीं किया। फिर, फिर मैं असमर्थ हूं तुम्हें परमात्मा तक ले जाने में। तुम कहीं और खोजो, तुम कहीं और जाओ।


हम कहते हैं कि हमने प्रेम किया। हम प्रेम करते हैं? जो आदमी प्रेम कर ले उसके लिए प्रभु से बड़ी निकटता और कोई नहीं रह जाती। क्योंकि प्रेम के क्षण में ही वह प्रकट होता है। ज्ञान के क्षण में नहीं, क्योंकि ज्ञान तोड़ता है। प्रेम के क्षण में, क्योंकि प्रेम जोड़ता है। ज्ञानी को प्रकट नहीं होता, क्योंकि ज्ञानी का अहंकार है कि मैं जानता हूं। प्रेमी को प्रकट होता है, क्योंकि प्रेमी कहता है कि मैं हूं ही नहीं। तो हम जिसे प्रेम कहते हैं वह जरूर झूठा प्रेम होगा; नहीं तो वह प्रेम परमात्मा तक पहुंचा देता।

Post a Comment

0 Comments