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Radha Krishna_प्यार के दो नाम राधा और श्याम

प्यार के दो नाम राधा और श्याम,कृष्ण प्रिया राधा का रहस्य

🌹 जय हो राधे गोविन्दजी की,,,,,,,🙏🏻🙏🏻

🌸बलिहारी इन नैनन पे,

🌸जिसमें बसते चारों धाम,

🌸ऐसी लगन लागी मोहे,

🌸 जिधर देखूं उत श्याम।।🥀🥀

     🦚।।राधे राधे।।🦚

अमर प्रेम की सच्ची दास्तां, कृष्ण-राधा की कहानी 

हमेशा से ही जिज्ञासा का विषय रही है. हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच सच्चा प्यार करने वालों के लिए  उदाहरण के तौर पर राधा-कृष्ण का मिलना और मिलकर बिछड़ जाने जैसी लव स्टोरी सदियों से बहुत लोकप्रिय है. हिंदू धर्म से संबंधित जहां अन्य देवी-देवता अपने चमत्कारों की वजह से ज्यादा जाने जाते हैं वहीं भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण अपनी रासलीला और प्रेमलीला की वजह से अपने अनुयायियों के बीच अधिक लोकप्रिय हैं.राधा द्वापर युग में श्री वृषभानु के घर प्रगट होती हैं। कहते हैं कि एक बार श्रीराधा गोलोकविहारी से रूठ गईं। इसी समय गोप सुदामा प्रकट हुए। राधा का मान उनके लिए असह्य हो हो गया। उन्होंने श्रीराधा की भर्त्सना की, इससे कुपित होकर राधा ने कहा- सुदामा! तुम मेरे हृदय को सन्तप्त करते हुए असुर की भांति कार्य कर रहे हो, अतः तुम असुरयोनि को प्राप्त हो। सुदामा कांप उठे, बोले-गोलोकेश्वरी ! तुमने मुझे अपने शाप से नीचे गिरा दिया। मुझे असुरयोनि प्राप्ति का दुःख नहीं है, पर मैं कृष्ण वियोग से तप्त हो रहा हूं। इस वियोग का तुम्हें अनुभव नहीं है अतः एक बार तुम भी इस दुःख का अनुभव करो। सुदूर द्वापर में श्रीकृष्ण के अवतरण के समय तुम भी अपनी सखियों के साथ गोप कन्या के रूप में जन्म लोगी और श्रीकृष्ण से विलग रहोगी। सुदामा को जाते देखकर श्रीराधा को अपनी त्रृटि का आभास हुआ और वे भय से कातर हो उठी। तब लीलाधारी कृष्ण ने उन्हें सांत्वना दी कि हे देवी ! यह शाप नहीं, अपितु वरदान है। इसी निमित्त से जगत में तुम्हारी मधुर लीला रस की सनातन धारा प्रवाहित होगी, जिसमे नहाकर जीव अनन्तकाल तक कृत्य-कृत्य होंगे। इस प्रकार पृथ्वी पर श्री राधा का अवतरण द्वापर में हुआ।

राधा और कृष्ण की अमर प्रेम 

कहानी की शुरुआत उन दोनों के बचपन से ही हो गई थी परंतु एक-दूसरे के प्रति पूरी तरह समर्पित होने के बाद, एक-दूसरे से बेइंतहा प्रेम करने के बाद भी वह पति-पत्नी नहीं बन पाए सिर्फ प्रेमी-प्रेमिका बनकर ही रह गए. कृष्ण ने जहां रुक्मिणी से विवाह कर लिया वहीं इस बीच राधा कहां गुम हो गईं इसके बारे में कभी ज्यादा जिक्र ही नहीं किया गया. परंतु आज हम आपको राधा-कृष्ण और रुक्मिणी के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनके बारे में शायद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा:

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि राधा, देवी लक्ष्मी के अवतार के रूप में इस धरती पर जन्मीं थी और ये बात भी हम सभी जानते हैं कि कृष्ण विष्णु के अवतार थे. देवी लक्ष्मी ने स्वयं यह कहा था कि उनका विवाह विष्णु के अलावा और किसी से नहीं होगा. ऐसे में ये बात गौर करने लायक है कि फिर तो निश्चित रूप से राधा ने कृष्ण से विवाह किया होगा. ऐसा कहा जाता है कि एक जंगल में स्वयं ब्रह्मा ने राधा और कृष्ण का विवाह करवाया था.


 पौराणिक कथाओं के अनुसार कृष्ण ने रुक्मिणी से विवाह किया था लेकिन यह विवाह क्यों हुआ इस बारे में सोचा जाए तो कई सवाल खड़े हो जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि रुक्मिणी राधा की ही तरह बचपन से कृष्ण को अपना जीवनसाथी बनाना चाहती थीं लेकिन उनके भाई शिशुपाल से उनका विवाह तय कर चुके थे. ऐसे में रुक्मिणी ने कृष्ण को पत्र लिखकर उनसे कहा कि अगर उनका विवाह कृष्ण से नहीं हुआ तो वह जान दे देंगी. बिना रुक्मिणी से पहले कभी मिले, बिना पहले उन्हें कभी जाने, कृष्ण कैसे और क्यों उनकी जान बचाने के लिए उनसे विवाह करने के लिए राजी हो गए?


कृष्ण के इस निर्णय के पीछे कारण यह माना जाता है कि राधा और रुक्मिणी दोनों एक ही थीं. रुक्मिणी को राधा का अध्यात्मिक अवतार माना गया है. तभी तो जहां राधा का जिक्र उठता है वहां रुक्मिणी का नाम नहीं होता और जहां रुक्मिणी का नाम होता है वहां राधा का जिक्र नहीं आता.

जहां कृष्ण राधा तहां जहं राधा तहं कृष्ण।

न्यारे निमिष न होत कहु समुझि करहु यह प्रश्न।


इस नाम की महिमा अपरंपार है। श्री कृष्ण स्वयं कहते है- जिस समय मैं किसी के मुख से ‘रा’ सुनता हूं, उसे मैं अपना भक्ति प्रेम प्रदान करता हूं और धा शब्द के उच्चारण करनें पर तो मैं राधा नाम सुनने के लोभ से उसके पीछे चल देता हूं। राधा कृष्ण की भक्ति का कालान्तर में निरन्तर विस्तार हुआ। निम्बार्क, वल्लभ, राधावल्लभ, और सखी समुदाय ने इसे पुष्ट किया। कृष्ण के साथ श्री राधा सर्वोच्च देवी रूप में विराजमान् है। कृष्ण जगत् को मोहते हैं और राधा कृष्ण को। 12वीं शती में जयदेवजी के गीत गोविन्द रचना से सम्पूर्ण भारत में कृष्ण और राधा के आध्यात्मिक प्रेम संबंध का जन-जन में प्रचार हुआ।


राधा प्रेम की पवित्र गहराई  

 

कृष्ण के विराट को समेटने के लिए जिस राधा ने अपने हृदय को इतना विस्तार दिया कि सारा ब्रज उसका हृदय बन गया। इसलिए कृष्ण भी पूछते हैं- बूझत श्याम कौन तू गौरी ! किन्तु राधा और राधा प्रेम की थाह पाना संभव ही नहीं। कुरूक्षेत्र में उनके आते ही समस्त परिवेश बदल जाता है। रूक्मणि गर्म दूध के साथ राधा को अपनी जलन भी देती है। कृष्ण स्मरण कर राधा उसे एक सांस में पी जाती है। रूक्मणि देखती है कि श्रीकृष्ण के पैरों में छाले हैं, मानों गर्म खोलते तेल से जल गए हों। वे पूछती हैं ये फफोले कैसे ? कृष्ण कहते हैं - हे प्रिये ! मैं राधा के हृदय में हूं। तुम्हारे मन की जिस जलन को राधा ने चुपचाप पी लिया, वही मेरे तन से फूटी है। इसलिए कहते हैं कि-

 

तत्वन के तत्व जगजीवन श्रीकृष्णचन्द्र और कृष्ण कौ हू तत्व वृषभानु की किशोरी है।


क्यों नहीं मिल पाए राधा-श्याम….

गर्ग संहिता के गोलोका कांड में देवर्शी नारद और मिथिला नरेश के बीच का संवाद बताया गया है. ये राधा और श्रीधामा के श्राप के कारण हुआ था कि राधा और कृष्ण को 100 सालों का वियोग झेलना पड़ा था.श्री गर्ग संहिता के विष्वजीत कांड के 49वें अध्याय में एक और कहानी लिखी गई है. कहा गया है कि राधा और कृष्ण 100 साल बाद सूर्य ग्रहण के दौरान होने वाले एक यज्ञ में मिले थे जो कुरुक्षेत्र में हो रहा था. इस दौरान राधा को योगेश्वर भगवान अपने रानियों और गोपियों के साथ ले गए द्वारका. यहां सभी ने राजसूया यज्ञ में हिस्सा लिया जिसे राजा उग्रसेन ने करवाया था. उस समय राधा कृष्ण के साथ उनकी पत्नी के तौर पर थीं और यहीं लिखा जाता है कि राधा की शादी कृष्ण से हुई थी और वो छाया राधा थीं जो रायान गोपा से शादी कर कृष्ण की मामी बनी थीं. पर सिर्फ इस यज्ञ को ही राधा और कृष्ण की शादी का सबूत माना जाता है.

 गर्ग संहिता के अनुसारश्री कृष्ण के पिता उन्हें अकसर पास के भंडिर ग्राम में ले जाया करते थे. एक बार वह अपने पिता के गोद में खेल रहे थे कि अचानक तेज की रौशनी चमकी और मौसम बिगड़ने लगा, कुछ ही समय में आसपास सिर्फ और सिर्फ अंधेरा छा गया. इस अंधेरे में एक पारलौकिक शख्सियत का अनुभव हुआ, वह राधा रानी के अलावा और कोई नहीं थी. अपने बाल रूप को छोड़कर श्री कृष्ण ने किशोर रूप धारण कर लिया और इसी जंगल में ब्रह्मा जी ने विशाखा और ललिता की उपस्थिति में राधा-कृष्ण का गंधर्व विवाह करवा दिया. विवाह के बाद माहौल सामान्य हो गया, राधा ब्रह्मा, विशाखा और ललिता अंतर्ध्यान हो गए और कृष्ण वापस अपने बाल रूप में आ गए.

एक अन्य पौराणिक कथा

 के अनुसार जतिला नाम की एक गोपी जावत गांव में रहती थी. योगमाया के आदेशानुसार जतिला के बेटे अभिमन्यु के साथ राधा का विवाह संपन्न हुआ था लेकिन योगमाया के प्रभाव की वजह से अभिमन्यु कभी राधा की परछाई तक को छू नहीं पाया था.

श्रीला प्रभुपाद के शब्दों में राधा-कृष्ण के बीच जो प्रेम संबंध था उसे ‘परकीया’ कहा जाता है. उन दोनों ने कभी शादी तो नहीं की लेकिन बचपन के इन दोस्तों का प्रेम अमर है. अध्यात्मिक दुनिया में प्रेम के सर्वोच्च स्वरूप को ‘परकीया’ कहा जाता है. परकीया का अर्थ प्रेम से है, वो प्रेम जो शादी नहीं दोस्ती की निशानी होती है.



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