Ek Yuva Vichar Ek Ummid Nayi

15/recent/ticker-posts

Are You Hungry

Kanoon karega apna kaam_किसान ट्रैक्टर रैली_PM MODI

किसान ट्रैक्टर रैली में उपद्रवियों द्वारा हिंसा पर बोले  PM Modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि कृषि कानूनों को 18 महीने तक स्थगित करने का उनकी सरकार का प्रस्ताव अभी भी है. सरकार ने किसान संगठनों से चर्चा के साथ गतिरोध का हल निकालने के बीच यह पेशकश की थी. हालांकि किसान संगठन इस प्रस्ताव को मानने से इंकार कर रहे है  और कृषि कानूनों (Farm Laws) को कला कानून ( black  Laws ) रद्द करने की मांग पर अब भी अड़े हैं.विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा कि उनकी सरकार प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से उठाए गए मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान निकालने का निरंतर प्रयास कर रही है. संसद में विभिन्न दलों के सदन के नेताओं की डिजिटल बैठक में मोदी ने यह भी कहा कि तीन कृषि कानूनों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री ने जो प्रस्ताव दिया था केंद्र सरकार आज भी उस पर बरकरार है।  

केंद्र की भाजपा सरकार ने यह सर्वदलीय बैठक बजट सत्र के दौरान संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने और विधायी कार्यों के संदर्भ में चर्चा के मकसद से बुलाई थी. विभिन्न दलों के नेताओं ने इस बैठक में अलग-अलग मुद्दे उठाये है ।   


वहीँ नसीपी सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar)  ने कृषि कानूनों पर फिर सवाल उठाए हैं. पवार ने शनिवार को कहा कि ये कानून एमएसपी (MSP) पर उल्टा असर डालेंगे और मंडी व्यवस्था (Mandi System) को कमजोर करेंगे.शरद पवार ने कहा कि एमएसपी MSP  को कहीं अधिक मजबूत करने की जरूरत है। 

कुछ और जाने  Indian Republic Day Parade_Tirange Ka Apmaan, Sainiko ka Apmaan Nahi Sahega Hindustan

लाल किले पर  किसान आंदोलनकारी और  पुलिस और के बीच हुई हिंसक झड़प 

देश की आन को धक्का देकर लोकतंत्र के नाम पर तिरंगे का अपमान किया गया है , अधिकतर किसानों के पास लंबी तलवारें, तेज़धार ख़ंजर और जंग में इस्तेमाल होने वाली कुल्हाड़िया थीं जो उनके पारंपरिक हथियार हैं.  प्रदर्शनकारी किसान बिना इजाजत लाल किले पहुंच गए और वहां पर जम कर हंगामा किया. आंदोलनकारी किसानों ने वहां पर  एक धर्म विशेष का  झंडा  फहराया. काफी घंटों की मशक्कत के बाद पुलिस ने वहां से प्रदर्शनकारी किसान हटाया,जिस से देश के अंदर एक गुस्सा है एक उबाल है , किसानो के नाम पर राजनीती साधने वालो के खिलाफ भी आम जनता का गुस्सा देखने को मिला,किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच हुई हिंसक झड़प पर भी चर्चा की गई. विशेष तौर पर लाल किले में सिखों के धार्मिक झंडे को फहराने का मुद्दा भी उठा. पीएम मोदी ने इस पर कहा कि कानून अपना काम करेगा


मोदी जी के शासन में जितने भी आंदोलन हुए हैं वो शुरू भले ही किसी भी मांग को लेकर हुए हों, उनका अंत एक ही प्रकार से हुआ है.कथित आंदोलनकारियों का नकाब अंत आते आते उतर ही गया और साबित हो गया कि वे देशद्रोही है।भीमा कोरेगांव,JNU,जामिया,CAA पर शाहीन बाग का और अब ये किसान आंदोलन.मेरा मानना है कि इनका नकाब उतारने के लिये धैर्य के साथ आक्रोश और सहानुभूति का शानदार उपयोग इस सरकार से बेहतरीन आज तक किसी ने नहीं किया.तभी सबके चेहरों पर चढ़े मुखौटे भी उतर गये और उनकी कुटिल चालें विफल भी हो गई। बहरहाल किसानो के नाम पर चल रहे कथित किसान आंदोलन के पीछे कई संरक्षकों और समर्थकों मे जो भी उसका चेहरा साफ़ हो जायेगा देशद्रोही गिरोह की हर साजिश नाकाम करेगे ये मोदी जी ने साफ़ कर दिया  है।  कानून करेगा अपना काम किसान ट्रैक्टर रैली  PM MODI

 गणतंत्र दिवस के बाद से बड़ी बातें.

  • सरकार खुले मन से किसानों से जुड़े मुद्दों पर वार्ता कर रही है. सरकार की पेशकश कायम
  • पीएम मोदी किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा पर बोले कि "कानून अपना काम करेगा". विपक्ष ने गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की निंदा की, लेकिन किसानों के प्रदर्शन में घुसे बाहरी तत्वों को लेकर जांच की मांग की है. 
  • सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर तनाव बना हुआ है. बड़ी संख्या में सुरक्षाबल वहां तैनात हैं. यूपी सरकार ने कहा है कि जरूरत पड़ी तो गाजीपुर से प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाएंगे. जबकि राकेश टिकैत का कहना है कि वो गोली खाने को तैयार हैं.
  • दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं को ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा को लेकर नोटिस भेजकर 3 दिन में जवाब मांगा है. आरोपी नेताओं से पासपोर्ट भी सौंपने को कहा गया है.
  • सरकार का कहना है कि ये कृषि क्षेत्र के बहुप्रतीक्षित सुधार हैं, जिनसे किसानों को फायदा पहुंचेगा.

क्या सच में उपद्रवी हो सकते है अन्नदाता ?

किसानो की तरफ से पत्थर और तलवारो से नागरिकों,पुलिस पर हमला करके साफ कर दिया कि इनका मकसद किसान बिल नही बल्कि देश को बदनाम करने साथ उसकी अस्मिता के साथ खिलवाड़ करना है.दरअसल यही लोग इस आंदोलन के असली सूत्रधार हैं.जिनका मानना था कि 26  जनवरी की घटना के बाद इन्हे नोचने के लिये दिल्ली की  सड़कों पर लाशों,हड्डियों का ढ़ेर मिल जायेगा पुलिस की और से शांति का नहीं बल्कि गोली का ज़बाब मिले लेकिन जब ऐसा हुआ नही तो असल किसानो के चले जाने के बाद आंदोलन के बहाने आग लगाने को आतुर बचे खुचे कथित किसानो के वेश मे बैठे खालिस्तानियों,कम्युनिस्टों,जेहादियों,आपियों और कांगियों तथा स्थानीय नागरिकों के बीच सड़क खाली करने को लेकर हुई बहस के दौरान सिंघु बार्डर पर कथित किसानो की तरफ से पत्थर और तलवारो से नागरिकों,पुलिस पर हमला करके साफ कर दिया कि इनका मकसद किसान बिल नही बल्कि देश को बदनाम करने साथ उसकी अस्मिता के साथ खिलवाड़ करना है। 

ये वो सवाल है जिस का उत्तर देश की 130 करोड़ जनता को देना है क्या सच में उपद्रवी हो सकते है अन्नदाता ?

Post a Comment

0 Comments