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Zindagi Na Milegi Dobara Tu Jee Le Jee Bhar Ke Duniya

आइये हम इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करें जिंदगी क्या है?

जीवन के सुख और खुद के रहस्य को समझना और आपस में दोनों तालमेल बिठाना ही जीवन जीने की कला है और इस रहस्य को जानने के लिए जरूरी है इस जीवन को जीना। इससे जुड़े सवालों का उत्तर खोजना, जैसे यह जीवन क्यों मिला है ? और जैसा मिला है, वैसा क्यों है , आज इस धरती के अंदर जितने रहस्य है शयद उससे भी ज्यादा इस जीवन में इस में क्या और कितना छिपा है इस बात का अंदाजा नहीं लगया जा सकता है| हम को ऐसे जीवन क्यू मिला , हम को जब मरना ही है तो ये सब क्यों , जब मरना ही है तो इस जिंदगी का का क्या मतलब , जब सब से बिछड़ना ही है तो क्यों बसते है संसार ऐसे न जाने कितने ही सवाल इतने सरे कष्ट क्यों जीवन में इतने उतर चढ़ाव क्यू , कहा जाता है की हर घटन पहले से ही लिखी है जैसे  भगवत गीता में लिखा है की मेरी मर्ज़ी के बिना कुछ यही होता तो इंसान असमंजश में पड़ जाता है, की ये जीवन इतना उलझा हुआ क्यू है?

              कोशिश कर रहे है की जिंदगी क्या है?
तो कभी सोचा की क्या है ज़िन्दगी? कभी खुद से सवाल पूछने का मौक़ा मिला की क्या है जिंदगी? कभी खुद से भी पुछा की में कौन हूँ? क्या सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी कहते है? न जाने ऐसे कितने ही क्या और न जाने कितने ही सवालो की जंग है ये जिंदगी ! एक सवाल जो शयद आज हर कोई चाहता है फिर चाहे वो किसी भी धर्म किसी भी पंथ या किसी भी देश का क्यू न हो। सवाल यह है कि कभी किसी ने ऐसा नहीं पूछा कि तुम क्या चाहते हो ? क्या ऐसे हुआ की कभी किसी ने आप को ये सवाल पुछा हो की आप खुश है क्या जिस जीवन की कल्पना आप ने की थी क्या आप वो जी रहे है ! जी हाँ शयद ये वो सवाल है जिस को कभी किसी ने आप से सच्चे मन से कभी नहीं पुछा न ही कभी उस सवाल को पूछने की नियत ही की उत्तर मिला भी तो कभी उस को समझने की कोशिश नहीं की ये एक सवाल मेरे सामने भी आया मुझे शयद हर बार ये सवाल बड़ा बेमानी सा लगा जैसे बस कोई ये सुनना चाहता हो की आप सच में खुश है क्योंकी ऐसे इस लिए क्यूंकि ये वो सवाल है जो खुद के  गर्भ में कई और सवाल कई और जवाब भी छुपा कर बैठा है, क्या मन की उथल पुथल किसी ने भी समझने की कोशिश भर भी की ? एक वाक्य में कहें तो जब मंजिल पर पहुंचना है तो उस की यात्रा भी हमारी ही है | 


आप से मेरा एक सवाल, तो फिर जिंदगी का सही मतलब क्या है?

माँ  के गर्भ से ले कर जो सफ़र शुरू हुआ और जो सांसे थमने के बाद मौत के साथ शमशान में जाकर ख़त्म होता है, क्या सिर्फ ये है जिन्दगी ? ये एक ऐसा सफ़र है जिसमें न तो हम अपनी मर्ज़ी से आए हैं और न ही अपनी मन मर्ज़ी से जी रहे हैं और न ही अपनी मर्ज़ी से दुनिया छोड़ कर जाएँगे | तो क्या आज हर कोई अपनी जिंदगी को अपने ही कंधे पर लाद कर शमसान की और ले जा रहा है |जीवन की परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति की दृष्टि में भिन्न होती है। आज के परिवेश में हम दौड़भाग में इतने व्यस्त हैं की स्वयं के लिए समय ही नहीं है स्वयं की खुशियों के लिए समाये नहीं। अर्थात हम स्वयं से कभी ये भी नहीं पूछ पाते की हम सच में खुश है, कभी ये जानने की कोशिश ही नहीं की मुश्कुराते हुए होठो के पीछे कितना दर्द है ? सवाल अगर हम खुश नहीं तो हम कहाँ जा रहे हैं? हम क्यों जा रहे हैं? कहाँ तक हमें ऐसे ही चले जाना है? हम को जो पाना क्या हमने वो पा लिया?  

सफल होने का तात्पर्य क्या है
मैंने ये सवाल बहुत लोगो से पुछा की सच जीवन क्या है ? खुसी क्या है ? कुछ कहते है की जीवन में सफल हो गए तो आप जीवन जी गए । लेकिन सफल होने का तात्पर्य क्या है? क्या बड़ा घर होना? बहुत सारा पैसा होना? या अपने किसी बड़ी इच्छा को पा लेना? अगर उनकी मान कर चले तो इस दुनिया में सिर्फ ये सब पा लेना ही सब है तो कुछ ही व्यक्ति हो पाएंगे ? क्या बड़ा घर पा कर, बहुत सारा पैसा पाकर या किसी बड़ी इच्छा को पूरा कर के हम सुकून में जी सकते हैं? क्या हमें शांति मिल सकती है? क्या हम को वो खुसी मिली जिस की तलाश शयद आज हर इंसान को है, ऐसे इस लिए क्यों की आज बड़े बड़े बिज़नेस मैन भी लगतार देश छोड़ कर भाग रहे है, पहले छोटा फिर बड़ा और बड़ा होने की इच्छा "आज मैंने खबर पड़ी जिस में एक बहुत बड़े बिज़नेस मैन ने आत्म हत्या कर ली विदेश में क्या करना था इतना बड़ा घर, इतनी गाड़िया नौकरों की फौज तो फिर क्या वजह और  उम्र 54 साल की" सवाल ये है की हमारी और अधिक पाने की इच्छा समाप्त हो सकती है? शायद नहीं। क्यों की हम खुसी के लिए नहीं जी रहे हम केवल साधनों के लिए जी रहे है |


जिंदा रहना और जीवन जीने में क्या अंतर है या फिर ये एक ही मतलब है?

  
जिन्दा रहना यानि सिर्फ जिंदगी काटना यानि आप जिंदगी काट रहे हो  ऐसे कहे की आप खुद मैं एक लाश के जैसे है, या एक रोबोट जो सिर्फ औरो के लिए काम कर है या बस है सामने औरो को आप के होने न होने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता आप अपना मान मार कर जी रहे है क्यों की जीना तो सभी को पड़ता है चाहे कैसी भी परिस्थिती हो। बहुत से लोग तंगहाल हैं। बहुत से लोग अपने जीवन में की हुई गलतियों की वजह से इतने परेशान हैं कि वो मौत की दुआ करते हैं। बहुत से लोग हैं, इस दुनिया में जिनके पास हर चीज की कमी है। घुट-घुट के जीते हैं। मौत की दुआ करते हैं, मगर जीना पड़ता है। फिर से उन सब मुश्किलों का सामना कर के जीना पड़ता है। जिन्दा रहना पड़ता है, तिरस्कार, अपमान, बेबसी को दिल में छिपा कर के भी जिन्दा रहना पड़ता है क्योंकि मौत और जिंदगी अपने हाथ में नहीं। इसकी डोर किसी और के पास है। लोग ऐसे भी है दुनिया में जो जिंदा तो हैं, पर जी रहे हैं, जैसे जिंदा लाश होते हैं। जैसे एक कोमा में गया हुआ इंसान जिंदा तो होता है, पर जिंदगी जी नहीं रहा होता है, एक आम इंसान की तरह।

हाँ अगर आप एक सम्मान भरी जिंदगी जीना चाहते हैं, तो तालमेल बैठाइए, खुशी और गम में। कामयाबी, सुख, नाकामयाबी जो भी मिलता है, उसी में खुश रहें। आज हमारा है, कल किसी और का होगा। आज को सम्हाल लें। कल की फ़िक्र छोड़ दे। आप को देख कर लोग अपने आप को बदले तो ही आप जी रहे हैं, वरना जिन्दा तो सभी है। अगर ऐसे नहीं तो जिंदगी को जी नहीं रहे जिंदगी का आनंद नहीं ले रहे यानि आप जबरदस्ती जी रहे हो lजिंदा तो जीवन रक्षक प्रणाली  (वेंटीलेटर) पर भी रहा जा सकता है अपने को न पहचान कर बस खुद को मार कर जीना ही जीवन नहीं, कभी सोचा की जीवन किसी के लिए बहुत छोटा तो किसी ने बहुत बड़ा क्यू लागत है क्या वजह है इसकी, इस सोच को दुनिया में कोई भी सोचता है बड़े से बड़े पैसे वाले और जो दो वक़्त की रोटी मुश्किल से जुटा पाने वाले भी, एक ही जीवन एक ही अवसर है फिर सोच अलग अलग क्यू है|


आप किस को अपना बोल सकते है?


दुनिया मे नहीं केवल जन्म धरा पर जन्म दाता भाई -बहिन यह सगे सब रिश्ते दार है ! विवाह होने पर पत्नी और बच्चे स्व अंश है !फिर ससुराल पक्ष के करीबी रिश्ते दार और कुछ सच्चे मित्र इसके बाद पहचान सब वाले बस ! जीवन मेरे लिए शरीर मे धड़कन अगर आप का दिल किसी के लिए किसी के भले के लिए धड़के , और अगर आप के पास देने के लिए कुछ नहीं तो बस एक सूंदर सी मुश्कान भी दे दी तो वो मेरे लिए जीवन है और जब तक यह है तब तक सास्वत है और उसके बाद दूजे. जिंदगी जीने के लिए सबसे पहले आपकी स्वांस चलना और ये सांसे किस की है जिन्दा या जीवन की ये फ़र्क़ आप को करना है!

जिंदगी का सही मतलब है मै (ख़ुद) को पहचानना कि मै कोन हूँ, क्या हूँ और क्यों हूँ । जब हम अपने आप को पहचान लेंगे तो ही हमारा ध्यान अपने आप से हटकर समाज की भलाई में लगेगा । अन्यथा हम अपनी ही समस्याओं में उलझे रहेंगे ना तो जिंदगी का आनन्द ले पाएँगे ना ही समाज को कुछ दे पाएँगे।जीवन जीने का नाम है जिन्दा होना ही जिंदगी नहीं , इस में प्रेम होना, एक परवाह होना जरुरी है , जीवन में यादो का होना भी जरुरी है, 


मुझे खबर नहीं यह जिन्दगी मेरी मुझे कहाँ ले जाए;
बस आप  ठहर के मेरा इंतज़ार करना।

और अंत में आप को फिर उस सवाल के साथ छोड़ रहा हूँ की आज की इस महामारी के आगोश में दुनिया जिन्दा है ये जीवित है ?





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