देश की सेवा का है जज्बा हो तो आप देश सेवा कैसे भी कर सकते है
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
आप ये जानते है की सारी दुनिया एक तरफ कोरोना से पीड़ित है परेशान,आज हर तरफ मौत का खेल है हर तरफ एक डर का सनाटा पसरा है।जब सारी दुनिया में महामरी से परेशां है तो भारत भी इस से नहीं बच पाया कोरोनावायरस से कितने लोग परेशान है वह तो 130 करोड़ लोग ही परेशान है विदेशो में रहने वाले भारतीय अपने घरो को आने के लिए परेशान है, एक ऐसी बीमारी है जो आपका घर आपका परिवार आपका देश पूरा खा सकती है इसलिए हर कोई परेशान है यही खतरा है जिस से लोगों की जिंदगी का सवाल है जुड़ा है|
अब मैं आपसे एक सवाल का जबाब जानना चाहूंगा क्या आप देश की मदद कैसे करेंगे? क्या आप भी केवल जंग के मैदान में ही अपना कुछ योगदान दे सकते है या आप देश की सेवा के लिए कुछ कर सकते है ?
मुझे यकीं ही नहीं पूरा विश्वास हैं के देश से प्रेम करने वाला हर व्यक्ति “हाँ” ही कहेगा।
देश का हर एक नागरिक अपनी योग्यता, रुचि और अभिरुचि के अनुरूप व्यक्ति देश के बहुमुखी विकास में योगदान दे सकता है यह सहायता कैसे की जा सकती हैं आइये आज बात करते हैं एक कैप्टन की जिसने आज सरे देश का दिल जीत लिया |
कोरोना संकट में विदेशो में फंसे भारतीयों को पहुंचा घर
राजेश कुमार गुर्जर |
ऐसे किया ये कारनामा
राजेश एयर इंडिया की फ्लाइट 161-162 लेकर 13 अप्रैल की देर रात 2:30 बजे उड़े और लंदन सुबह भारतीय समयानुसार 11 बजे पहुंच गए। इसके बाद वहां उन्होंने वेटिंग रूम में ही समय काटा और बस इंधन भरवाने के लिए रुके। इसके बाद मात्र एक घंटे की ब्रेक के बाद उन्होंने फिर से प्लेन की कमान थाम ली। बता दें कि पूरी
प्रकिया में लगभग 17 घंटे से ज्यादा बिना आराम किए उड़ान भरी। उन्होंने दिल्ली से लंदन जाने के लिए पहले 230 यात्री अमृतसर से लिए और फिर 70 यात्री दिल्ली से लिए। इसके बाद अपने मिशन पर निकल गए। इस दौरान सभी यात्रियों को एक-एक सीट छोड़कर दूरी पर बैठाया गया था। यात्रियों के लिए भोजन भी पहले ही सीट पर रख दिया गया था। भोजन, एक बोतल पानी और एक गिलास कोल्ड ड्रिंक रखी गई थी।
कोरोना संकट में विदेशो में फंसे भारतीयों को पहुंचा घर |
लोगों को केवल सरकार पर चिल्लाने और दोषी ठहराने के स्थान पर देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को समझना चाहिये। हम सभी जानते हैं कि देश की वृद्धि एवं विकास के लिये सभी व्यक्ति व्यक्तिगत रुप से जिम्मेदार हैं।
आइये यह शुरुवात हम आज ही अपने आप से ही करते हैं, हम को यह कभी नहीं भूलना चाहिये कि कर्तव्य भावना के बिना अधिकार की मांग निरर्थक है। यदि इस समस्या का समाधान कर लिया जाए, तो देश की कई समस्याएं अपने आप हल हो जाएँगी, क्योंकि आज व्यक्ति अपने अधिकारों की कामना तो करता है, लेकिन कर्तव्य नहीं निभाना चाहता। इस लिए आप सब से आग्रह है की आप को जैसे सरकार आदेश देती है आप उस का पालन करे अगर आज सरकार आप को अपने घर में रहने के लिए बोल रही है तो वो आप के भले के लिए ,
#STAYATHOMESTAYSAFE
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
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आपको जीवन में आगे बढ़ने,और जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने मैं हिम्मत और साहस की जरुरत है अगर आप में ये साहस है तो आप खुद को और इस देश को बदल सकते है,खोजोंगे अगर तो रास्ते मिलेंगे, हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं,जिस दिन लोग ऐसी सोच रखना शुरू कर देंगे, उस दिन हमारा भारत सही मायने मे महान कहलाएगा,धन्यवाद, |जय हिन्द| |जय भारत |अगर आप को मेरे विचार अच्छे लगे तो प्लीज़,आप अपने विचार दें||