कोरोना वायरस भारत के लिए कितना ख़तरनाक ?
अपना ख्याल रखे |
केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के मुताबिक़ हमें इस तरह के मामलों से निपटने के लिए भी तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लोग हॉटस्पॉट एरिया में रह रहे हैं और बुज़ुर्ग हैं, हाई रिस्क में हैं, उन्हें अपने टेस्ट कराने चाहिए. उसी तरह से जो लोग एसिम्प्टोमैटिक हैं लेकिन कोरोना पॉज़िटिव लोगों के सम्पर्क में आए हैं, उन्हें ख़ुद को सेल्फ़ आईसोलेट करना चाहिए. जरूरत पड़े तो हमसे सम्पर्क करें, उन्हें अस्पताल में रखने की ज़रूरत होगी तो हम वो भी सुविधा उन्हें देंगे,
देशभर से अबतक कोरोना वायरस के 17656 मामलों की पुष्टि हुई है, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 2547 कोरोना मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं। 59 जिलों में पिछले 14 दिनों में कोरोना का एक भी केस नहीं आया है।। अब तक देश में कोरोना के 3,86,791 टेस्ट किए गए हैं। गृह मंत्रालय प्रवक्ता पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि कुछ हॉटस्पॉट्स में कोरोना की स्थिति बिगड़ रही है या बिगड़ती जा रही है।
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एसिम्प्टोमैटिक भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय क्यों है?
भारतीय की इम्यून सिस्टम |
भारत को युवा का देश कहा जाता है, भारत की आबादी में युवा ज्यादा है , युवा वो वर्ग जो 18 से 40 साल तक, डॉ. नागराज के मुताबिक़ भारत में युवा लोगों की जनसंख्या बाक़ी देशों के मुक़ाबले ज़्यादा है, और उन्हीं को कोरोना संक्रमण ज़्यादा हो रहा है. यही वजह है कि भारत को इस नए ट्रेंड से चिंतित होने की ज़रूरत है,4 अप्रैल को केंद्र सरकार की तरफ़ से जारी आंकड़े के मुताबिक़ देश में 20 से 49 की उम्र के बीच के 41.9 फ़ीसदी लोग कोरोना पॉज़िटिव हैं,41 से 60 साल की उम्र वाले तक़रीबन 32.8 फ़ीसदी लोग कोरोना पॉज़िटिव हैं.इन आकड़ों से साफ़ है कि देश में युवा ही कोरोना के संक्रमण की चपेट में ज़्यादा आ रहे हैं,
डॉ. नागराज के मुताबिक़ इसके पीछे की एक वजह ये भी हो सकती है कि भारतीय की इम्यून सिस्टम दूसरे देश के नागरिकों के मुक़ाबले ज़्यादा बेहतर है, इसलिए भारतीयों में कोरोना के लक्षण नहीं दिखते और फिर भी कोरोना के मरीज़ होते हैं, भारतीयों का रहन-सहन, भोगौलिक स्थितियां इसके लिए ज़िम्मेदार है. हमारा प्रदेश गर्म है, हम गर्म खाना खाते हैं, गर्म पेय पीते हैं, इस वजह से हमारे यहां (एसिम्प्टोमैटिक) जिन में वायरस तो है मगर असर नहीं करता , के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे है ,उनके मुताबिक़ कोरोना वायरस हीट सेंसेटिव है |
लॉकडाउन 2 में मिलने वाली छूट क्या खतरनाक साबित हो सकती है ?
दुनिया ने आज महामारी का वो रूप देखा है जिस की किसी को कल्पना भी नहीं थी , इस महामारी में सब से खतरनाक वो लोग है जो जिनमें किसी तरह के लक्षण नहीं होते लेकिन वो कोरोना पॉज़िटिव होते हैं और संक्रमण फैला सकते है, आज दुनिया के बाक़ी देशों में भी एसिम्प्टोमैटिक मामले देखने को मिले हैं, जी हां, आपने सही पढ़ा, बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज़, ये वो मरीज़ हैं जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं होता फिर भी ये कोरोना पॉज़िटिव होते हैं,लेकिन भारत में इनकी संख्या थोड़ी ज़्यादा है तो क्या बिना जाँच के लॉक डाउन को खोलना क्या उचित है,क्या भारत 133 करोड़ वाले देश में क्या कोरना टेस्ट ज़्यादा करना शुरू करना होगा, भारत में ऐसे 'एसिम्प्टोमैटिक' मामले देखने को मिले हैं यानी इनमें कोरोना के कोई लक्षण मौजूद नहीं थे, किसी को बुख़ार, खासी, सांस की शिकायत नहीं थी. उनको पता ही नहीं था कि वो कोरोना लेकर घूम रहे हैं. ये और भी ख़तरनाक हैं, कोरोना फैल चुका है और किसी को पता भी नहीं चलता कि वो कोरोना के शिकार हो चुके हैं."ये ऐसे मामले दिल्ली,तमिलनाडु,केरल,कर्नाटक, असम, राजस्थान जैसे राज्यों में इस तरह के मामले सामने आने की बात स्वीकार की है,ऐसे मामले अगर देश में है तो यक़ीन मानिये ये देश के डाक्टरों के लिए नया सिर दर्द बन गए हैं जो बिना टेटिंग के सॉल्व नहीं किया जा सकता |
एक बार फिर से बढ़ सकता है लॉकडाउन?
एक बार फिर से बढ़ सकता है लॉकडाउन में अगर संक्रमण के मामले 3 से 4 दिनों में दोगुने हो रहे है तो हम उम्मीद कर सकते है की भारत की सरकार मई की शुरुआत में 7 से 12 दिन तक इस लॉक डाउन को ले कर जा सकती है । सरकार धीरे-धीरे लॉकडाउन में रियायत देने की कोशिश करेगी , लेकिनये पक्का है कि लॉकडाउन को एकदम से नहीं खत्म नहीं कर सकती बल्कि इसे धीरे-धीरे लॉकडाउन की इस प्रक्रिया को खत्म किया जाएगा।अब लोगों में जबरदस्त जागरूकता है और लोगो को इस महामारी का अच्छे से पता चल गया है की ये कितनी घातक है इस के चलते लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं, उम्मीद हैं कि संक्रमण को रोकने में लोग सरकारों का साथ आगे भी अच्छे से देंगे |
अच्छी खबर इस लॉकडाउन में
तिरुवनंतपुरम के श्री चित्रा तिरुनल चिकित्सा विज्ञान औऱ तकनीकी संस्थान कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में बड़ी कामयाबी हासिल की है। संस्थान ने SARS-COV2 के एन-जीन्स की पुष्टि के लिए एक खास तकनीक RT-LAMP का इस्तेमाल करते हुए Chitra GeneLamp-N नामक किट तैयार की है। अलप्पूझा के राष्ट्रीय वाइरॉलॉजी संस्थान ने इस परीक्षण किट को मान्यता दी है और आईसीएमआर को इसकी जानकारी दे दी है। अब एससीटी संस्थान इस तकनीक को बड़े स्तर पर काम लाने के लिए ज़रुरी बदलाव की प्रक्रिया में है, ताकि ज़रूरत पड़ने पर इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो सके। कीमत के लिहाज़ से भी ये नई किट काफी किफायती है, क्योंकि इसकी कीमत महज़ 1000 रुपए होगी, जबकि पीसीआर किट की कीमत 2000-2500 रुपए के बीच होती है। इसके साथ ही नई मशीन की कीमत भी 2.5 लाख रुपए होगी, जबकि RT-PCR मशीन की कीमत करीब 15-40 लाख रुपए के बीच होती है। इस मशीन से नमूने की जांच 2 घंटों में हो सकेगी। अपनी कम कीमत की वजह से इस मशीन का इस्तेमाल ज्यादातर ज़िलों में हो सकेगा ताकि बड़े स्तर पर अगर जांच की ज़रूरत पड़ती है, तो उसे आसानी से किया जा सके।
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आपको जीवन में आगे बढ़ने,और जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने मैं हिम्मत और साहस की जरुरत है अगर आप में ये साहस है तो आप खुद को और इस देश को बदल सकते है,खोजोंगे अगर तो रास्ते मिलेंगे, हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं,जिस दिन लोग ऐसी सोच रखना शुरू कर देंगे, उस दिन हमारा भारत सही मायने मे महान कहलाएगा,धन्यवाद, |जय हिन्द| |जय भारत |अगर आप को मेरे विचार अच्छे लगे तो प्लीज़,आप अपने विचार दें||