भारत की बेटी जो बनी मंगल पर नासा की आवाज
भारत की बेटी से जो बनी मंगल पर नासा की आवाज, इस दुनिया में असंभव
कुछ भी नहीं। हम वो सब कर सकते हैं, जो हम सोच सकते हैं और हम वो सब सोच सकते हैं, जो आज तक हमने नहीं सोचा। कहते है की बड़ी सफलता के पीछे कई लोगो की भूमिका होती है , ऐसे की कारनामे को अंजाम दिया है भारत की बेटी ने साइंटिस्ट स्वाती मोहन अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) के रोवर परसिवरेंस (Perseverance Rover) ने मंगल ग्रह (Mars Planet) पर सफलतापूर्वक लैंड किया है. परसिवरेंस रोवर धरती से टेकऑफ करने के 7 महीने बाद मंगल ग्रह पर पहुंचा है भारतीय समय के अनुसार गुरुवार-शुक्रवार रात 2 बजकर 25 मिनट पर रोवर ने लाल ग्रह की सतह पर लैंडिंग (Landing) की. रोवर की सफल लैंडिंग को देख लेबोरेटरी में परियोजना पर काम रहे वैज्ञानिक खुशी से उछल पड़े।
Scientist Swati Mohan |
कुछ भी नहीं। हम वो सब कर सकते हैं, जो हम सोच सकते हैं और हम वो सब सोच सकते हैं, जो आज तक हमने नहीं सोचा। कहते है की बड़ी सफलता के पीछे कई लोगो की भूमिका होती है , ऐसे की कारनामे को अंजाम दिया है भारत की बेटी ने साइंटिस्ट स्वाती मोहन अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) के रोवर परसिवरेंस (Perseverance Rover) ने मंगल ग्रह (Mars Planet) पर सफलतापूर्वक लैंड किया है. परसिवरेंस रोवर धरती से टेकऑफ करने के 7 महीने बाद मंगल ग्रह पर पहुंचा है भारतीय समय के अनुसार गुरुवार-शुक्रवार रात 2 बजकर 25 मिनट पर रोवर ने लाल ग्रह की सतह पर लैंडिंग (Landing) की. रोवर की सफल लैंडिंग को देख लेबोरेटरी में परियोजना पर काम रहे वैज्ञानिक खुशी से उछल पड़े।
नासा के मंगल ग्रह पर भेजे गए रोवर पर सिवरेंस की सफलता के पीछे जिन लोगों का हाथ है उनमें से एक स्वाति मोहन भी हैं। स्वाति मोहन नासा की जेट प्रपल्शन लैब में इस प्रोग्राम की नेवीगेशन गाइडेंस और कंट्रोल ऑपरेशन (GNC) की हैड हैं। नासा का रोवर इसी लैब में तैयार किया गया है। इसके पीछे वर्षों की मेहनत है। नासा के इस मिशन में रोवर परसिवरेंस के साथ एक मिनी हैलीकॉप्टर इनज्यूनिटी भी सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर पहुंच गया है। ये इस पूरी टीम के लिए गौरव का पल है। स्वाति की बात करें तो वो इसकी टीम से बीते आठ वर्षों से जुड़ी हैं।
स्वाति के ऊपर मार्स रोवर परसिवरेंस को सही जगह पर उतारने और इसके लिए एकदम सही जगह का चयन करने की जिम्मेदारी थी। वो केवल इसी मिशन के साथ जुड़ी नहीं रही है बल्कि इससे पहले वो शनि ग्रह पर भेजे गए कासिनी यान और नासा के चांद पर भेजे गए ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लैबोरेटरी (ग्रेल) यान से भी जुड़ी रह चुकी हैं।
एक आवाज जिसे सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से फूला नहीं समां रहा था
एक ओर जहां NASA के मिशन कंट्रोल में मंगल पर एक और कदम रखने का उत्साह चरम पर था, भारत के लोगों के लिए खुशी और गर्व की अलग ही वजह थी। दरअसल, दुनिया को इस मिशन से जोड़ने वाली आवाज भारत की एक बेटी की थी। गाइडेंस ऐंड कंट्रोल्स ऑपरेशन डॉ. लीड स्वाति मोहन ने जब Perseverance के एक-एक कदम की कहानी शेयर करना शुरू किया तो देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। स्वाति मंगल पर Perseverance की लैंडिंग के दौरान Jet Propulsion Laboratory से लाइव कॉमेंट्री कर रही थीं और पल-पल की जानकारी दुनिया के साथ शेयर कर रही थीं।
SWATI MOHAN Say watching STAR TREK as a Child Fuelled her interest in space.
अपने वैज्ञानिक बनने और नासा से जुड़ने की बात का खुलासा करते हुए एक बार उन्होंने कहा था कि वो जब 9 वर्ष की थीं तब टीवी पर आने वाले प्रोग्राम स्टार ट्रेक को बेहद मन से देखा करती थीं। इससे उन्हें ब्रह्मांड के नए खुलासे करने का मन करता था। उन्हें ये जानने में अच्छा लगता था कि पृथ्वी से करोड़ों किमी दूर भी कुछ है। यहां से उन्हें ब्रह्मांड को खंगालने की धुन सवार हुई थी। उन्हें लगने लगा था कि उन्हें भी इस ब्रह्मांड के नए सवालों का जवाब तलाशने हैं। जब वो 16 वर्ष की थीं तब उनके दिमाग में पैड्रीटिशियन बनने का ख्याल आया। लेकिन इसी दौरान उन्हें मिले फिजिक्स के टीचर की बदौलत उनके मन में दोबारा इंजीनियर बनने का ख्याल मन में आया था। इसके बाद उनकी दिलचस्पी स्पेस एक्सप्लोरेशन में बढ़ती ही चली गई।
स्वाति मोहन की बिंदी के कायल हुआ सोशल मीडिया,
बिंदी के फैन |
कोरोना काल ने रोवर की मंगल ग्रह पर लैंडिंग
नासा का रोवर मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं की तलाश करेगा. नासा के कार्यकारी प्रमुख स्टीव जुर्स्की (Steve Jurczyk) ने परसिवरेंस की सफल लैंडिंग पर खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा, यह अद्भुत है. कोरोना काल ने रोवर की मंगल ग्रह पर लैंडिंग के काम को और भी अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया था. परसिवरेंस भविष्य के रोवर मिशन के लिए स्काउट’ के रूप में काम करेगा.
रूचि का विषय मंगल पर मीथेन
मंगल के उत्तरी हिस्से में मीथेन के गुबार का पता चला है, जो बहुत ही रूचि का विषय बन गया है क्योंकि इसकी जैविक उत्पति होने की संभावना है. साथ ही, अन्य पहलू भी हो सकते हैं. मीथेन (सीएच4) पृथ्वी के वायुमंडल में गैस के रूप में पाया जाता है, पृथ्वी पर 90 प्रतिशत से अधिक मीथेन सजीव प्राणियों एवं वनस्पति द्वारा पैदा किया जाता है.मंगल ग्रह के मामले में फरवरी का महीना अहम माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अभियान विभिन्न चरणों में हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि अरबों साल पहले लाल ग्रह पर जीवन की मौजूदगी हो सकने के बारे में वहां कुछ संकेत संरक्षित होंगे. आठ देशों ने मंगल पर अपने अभियान भेजे हैं.चीन ने अपने मंगल अभियान के तहत ‘तियानवेन-1’ पिछले साल 23 जुलाई को लाल ग्रह के लिए रवाना किया था. यह 10 फरवरी को मंगल की कक्षा में पहुंचा. इसके लैंडर के यूटोपिया प्लैंटिया क्षेत्र में मई 2021 में उतरने की संभावना है. यूएई का मंगल मिशन ‘होप’ भी इस महीने मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया.पूर्व सोवियत संघ ने सबसे पहले मंगल के लिए एक अभियान भेजा था. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के डेटाबेस के मुताबिक मार्सनिक-1 को 10 अक्टूबर 1960 को रवाना किया गया था. भारत उन कुछ गिने-चुने देशों में शामिल है जो मंगल अभियान के अपने प्रथम प्रयास में ही सफल रहा है. मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) को 23 नवंबर 2013 को रवाना किया गया था.
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आपको जीवन में आगे बढ़ने,और जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने मैं हिम्मत और साहस की जरुरत है अगर आप में ये साहस है तो आप खुद को और इस देश को बदल सकते है,खोजोंगे अगर तो रास्ते मिलेंगे, हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं,जिस दिन लोग ऐसी सोच रखना शुरू कर देंगे, उस दिन हमारा भारत सही मायने मे महान कहलाएगा,धन्यवाद, |जय हिन्द| |जय भारत |अगर आप को मेरे विचार अच्छे लगे तो प्लीज़,आप अपने विचार दें||