Ek Yuva Vichar Ek Ummid Nayi

15/recent/ticker-posts

Are You Hungry

Premmay Vaatsalyamay Bhakt Ke Saath Prem Leela_Radhe-Radhe

भक्त के साथ प्रेम लीला 

गोकुल की एक सुहानी सुबह. माता यशोदा बाल गोपाल को तैयार कर श्रृंगार कर रही है प्रभु की एसी अनोखी आभा जिसे देख कर माता पुलकित होती है और बार बार कन्हैया की काजल लगाती है और कहती है सारे गोकुल-जन, गोपियां, ग्वालें तुझे देख कर नज़र लगा देते है इसलिये अब से बहुत काजल लगाऊँगी।

प्रेममय वात्सल्यमय
बडी प्रेममय वात्सल्यमय लीला को देख देवगण भी आनंदित होते है और विचार करते है की माता के भी सौभाग्य उच्च है प्रभु जो पूरी सृष्टी का पालन करते है, अपने वात्सल्य से सीचते है आज माता उन्हें ही वात्सल्य से प्रेम कर रही है।धरती के इसी अमृत के लिए इसी धन के लिए तो देवता भी यहाँ जन्म लेने के लिए तरसते है। और प्रभु तो इस वात्सल्य अमृत का जी भर कर पान कर रहे हैं दो दो माताओं का प्रेम  पा रहे है।  


तभी बाहर से आवाज आती है फल ले लो, फल ले लो। प्रभु बहुत उत्साहित हो जाते है माता यशोदा से कहते है माता अब में बड़ा हो गया हु न आज में फल लेने जाऊंगा। गोपाल दौड़ कर रसोई में जाते है और अंजनी (हतेली) में अनाज भर कर ले आते है। माता उन्हें एक मुठी आनाज ले जाते हुए देखती है तो बड़ी आनदित होकर हंसती है और सोचती है इसकी छोटी सी मुठी के आनाज से फल वाली इसको कैसे फल देगी।

और अधिक जाने -  प्यार के दो नाम राधा और श्याम

बालकृष्ण जी दौड़े हुए आँगन में जाते है तो जाते जाते ही उनकी हतेली से आनाज गिरने लगता है और मालिन के पास पहुचते पहुचते हथेली में मात्र २ दाने ही रह जाते है।इधर मालिन नन्द जी के आँगन पहुचती है और देखती है की आज तो नन्दलाल जी फल लेने पधारे है।बालकृष्ण जी वो २ दाने मालिन की टोकरी में डाल देते है और अंजनी बनाकर कहते है मालिन हमको थोड़े फल दे दो।

आज पहली बार मालिन श्रीनाथ जी को देखती है और निहारती ही रह जाती है। बालकृष्ण जी की अनुपम  छवि देख कर मालिन की तो मानो समाधी ही लग जाती है। जो समाधी प्राप्त करने के लिए और प्रभु से एकाकार होने के लिए ऋषि मुनि सालो तक तप साधना करते है... आज वो ही समाधी मालिन को फल बेचते हुए ही प्राप्त हो गयी। 

मालिन को ना वस्त्र का ध्यान रहता है न ही फलो का। मालिन के प्रेम को  देख प्रभु की लीला शक्ति रुक जाती है और कृपा शक्ति शुरू हो जाती है.. बालकृष्ण जी मालिन को देखते है और मालिन बालकृष्ण जी को। 

थोड़ी देर में बालगोपाल जी मालिन को आवाज लगाते है। प्रभु अपनी कृपा शक्ति को रोक फिर लीला सकरी आरम्भ करते है, “ओ मालिन ! एसे कितनी देर घूरेगी हमें”.. मालिन की समाधी टूटती है। 

मालिन कहती है, “माफ़ करो लाल जी, कहो क्या चाहिए” 

प्रभु कहते है, “कहती है क्या चाहिए अरे क्या बेचती है मालिन”.. 

मालिन की सुध नहीं आती है वो बाल गोपाल जी के सामने सारे फल रख दी है। 

थोड़े फल लेकर बालकृष्ण जी घर में चले जाते है। 

मालिन बाल गोपाल जी की आनोखी छवि को याद करते करते नन्द जी के आँगन से बाहर होती है लेकिन अपनी सुध तो मालिन बालकृष्ण जी के हाथो में ही सोंप आई है। अब मालिन को न फलो का भान रहता है न खुद का और आवाज लगाती है, “कोई श्याम ले लो रे कोई घनश्याम ले लो रे” ..मालिन फल बेचना भूल जाती है। 

गोकुल के लोग यह सुन कर घरों से बाहर आकर मालिन को देखते है और सोचते है यह कोई आई है श्याम बेचने वाली। मालिन की आँखों से प्रेम के आंसू बह रहे होते है।मालिन घर पहुचती है सारे फल वो घनश्याम जी को मात्र दो आनाज के दानो के बदले दे आई है। 

सिर से टोकरी नीचे रखती है तो क्या देखती है की पूरी टोकरी आभूषण हीरे जवाहरातों से भरी है।यही प्रेम लीला है जो श्रीनाथ जी अपने हर भक्त के साथ करते है, वे बस भक्त का प्रेम देखते है।

  🙏जय जय श्री राधे🙏


Post a Comment

0 Comments